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कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जलकुंभी के फल ने दी मात, जानें कैसें हुआ यह चमत्कार

 



बलिया। यह चमत्कार हीं तो है, नहीं तो जिस रामजी राम को मेडिकल सांइस और डाक्टरों ने गले के कैंसर का मरीज बताते हुए कुछ दिन का मेहमान बताया था, वह मॉ काली की कृपा से ना सिर्फ कैंसर से मुक्त हुआ बल्कि ‌चिकित्सा विज्ञान के लिए चमत्कार सरीखा भी है। लेकिन यह सब कुछ हुआ पकड़ी धाम स्थित माँ काली के प्रसाद व कृपा से। इस चमत्कार को फलीभूत करने में पकड़ी धाम के पुजारी और माँ काली के अनन्य भक्त रामबदन भगत की भी बड़ी भूमिका रही, जिनके प्रयास से राम जी स्वस्थ हो सकें।



अपनी पीड़ा को शब्दों में बयां करतें हुए गाजीपुर जनपद के गहमर गांव निवासी रामजी राम को गले में कैंसर की शिकायत हुई। स्थानीय चिकित्सकों से इलाज कराने के बाद भी जब कोई राहत नहीं मिलीं तो बनारस के लहरतारा के एक अस्पताल में उपचार कराया, जहाँ डाक्टरों ने कुछ ही दिन का मेहमान बताया। बताते है कि इसके बाद वह इसी दौरान  किसी ने  उन्हें पकड़ी धाम की काली मां के मंदिर में जाने की नसीहत दी।  फिर वह पकड़ी धाम स्थित काली मंदिर पहुंचे और मंदिर के पुजारी रामबदन भगत से अपनी व्यथा बताई।


 मां काली के अनन्य उपासक रामबदन भगत ने पहले उन्हें मां का प्रसाद दिया और  फिर  कैंसर के उपचार के लिए जलकुंभी के 100 से 150 फलों को सिलबट्टे पर पीस कर माँ को पिलाने को कहा।  इसके बाद रामजी करीब 3 माह तक जलकुंभी के फल को पीसकर पीते रहे।


 परिणाम स्वरूप जिस रामजी को डॉक्टरों ने यह कह कर लौटा दिया था कि अब वह महज 2 से 3 माह की मेहमान है, वह अब भला चंगा होकर घूम रहे है। बताते हैं कि उनके लिए तो जलकुंभी का फल अमृत समान है। वह कैंसर पीड़ित रोगियों को भी जलकुंभी के फल के सेवन की सलाह देते हैं।





 

डेस्क

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