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भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है : पं० विनोद


 




रतसर (बलिया):कस्बा क्षेत्र के जनऊपुर गांव में मन कामेश्वर नाथ शिव मन्दिर परिसर में चल रहे श्री मद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिन शनिवार को वैदिक मंत्रोच्चारण और प्रभु के नाम के जयकारे से प्रारम्भ हुआ। काशी से आए पुरोहितों के मन्त्र उच्चारण की ध्वनि से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। कथा पीठ से व्यास पं० विनोद पाण्डेय ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रासलीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो आत्मा का परमात्मा से मिलन की कथा है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मिणी के साथ सम्पन्न हुआ लेकिन रुक्मिणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा,बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए। और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। कथा व्यास विनोद जी ने कंस वध की कथा सुनाते हुए बताया कि कंस का अर्थ है अभिमान और अभिमान की दो पत्नियां हैं अस्ति और प्राप्ति I अस्ति अर्थात ये मेरा है और प्राप्ति अर्थात यदि मेरा नहीं है तो ये मुझे प्राप्त करना है I भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। यज्ञाचार्य पं० संजय उपाध्याय,शिवजी पाठक एवं मुनिशंकर तिवारी ने विधि-विधान से मंडप में देवी-देवताओं का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन कराया। मुख्य यजमान सुरेन्द्र नाथ पाण्डेय एवं नरेन्द्र पाण्डेय ने आरती किया और पुष्पांजलि समर्पित किया। कथा आयोजक उमेश चन्द्र पाण्डेय ने यज्ञ स्थल पर आए श्रद्वालुओं का आभार व्यक्त करते हुए आरती एवं प्रसाद का वितरण कराया।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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