ईश्वर व संत आस्था , समर्पण के विषय होते हैं:- जीयर स्वामी
दुबहर:- क्षेत्र के जनेश्वर मिश्र सेतु एप्रोच मार्ग के किनारे हो रहे चातुर्मास व्रत में सोमवार की देर शाम प्रवचन करते हुए महान मनीषी संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी के शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी ने गृहस्थ आश्रम के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि गृहस्थ आश्रम में छह सुख बतलाए गए हैं। घर में धन संपत्ति का आगमन होना गृहस्थ का प्रथम सुख है। निरोग होना दूसरा सुख है, सुंदर पत्नी का होना तीसरा सुख है , पत्नी का वाणी - व्यवहार अच्छा होना चौथा सुख है ,पुत्र बस में होना चाहिए व आज्ञाकारी होना चाहिए यह पांचवा सुख है ,घर में अच्छी शिक्षा होनी चाहिए यह छठा सुख है। कहा कि जिस घर में नित्य श्रीमद् भागवत का पाठ होता है उस घर में साक्षात मां लक्ष्मी की कृपा होती है। श्रीमद्भागवत के बारे में बताते हुए कहा कि भागवत में भगवान के तेज और दिव्य विग्रह का वर्णन किया गया है। कहा कि जीवन में कथा श्रवण करने से सदाचार का प्रादुर्भाव होता है।
कहां की ईश्वर व सन्त समर्पण और श्रद्धा के विषय होते हैं ईश्वर व सन्त की कभी परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
रिपोर्ट:-नितेश पाठक
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