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भक्तिशाखा का अद्वितीय ग्रन्थ है श्रीमद्भागवत महापुराण:-जीयर स्वामी




दुबहर, बलिया । क्षेत्र में गंगा नदी के किनारे जनेश्वर मिश्रा सेतु के एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास यज्ञ में श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए संत लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि एक बार शौनक ऋषि ने नैमिषारण्य की धरती पर कथा सुना रहे सूत जी महाराज से पूछा कि इस पृथ्वी पर मानव क्यों आया है उसको कौन भेजा है और वह क्या करने आया है ? इस पर सूत जी ने वहां उपस्थित ऋषियों को बताया कि मानव पृथ्वी पर अपने उद्देश्य को लेकर के आया  है । जिसमें वह भगवान का चिन्तन एवम उनसे संबन्ध जोड़कर भक्ति करते हुए उनकी सरणागति पा जाए यही मानव का धरती पर आने का उद्देश्य है । कहा कि उद्देश्य और कर्म में अंतर है कर्म जीवन की अवस्था के साथ बदलता रहता है लेकिन उद्देश्य नहीं बदलता । कहा कि छोटी सी उम्र में ध्रुव, प्रहलाद जी ने प्रभु की भक्ति कर उनकी शरणागति पाई और दुनिया में अनेकों लोग ऐसे हैं जो अपने जीवन का संबंध प्रभु से जोड़ कर रखते हैं तो उन्हें प्रभु की प्राप्ति हो ही जाती है । ऐसी कथाओं का उल्लेख हमारे सभी सनातन धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिलता है । कहा कि दुनिया में वही व्यक्ति सबसे बड़ा है जो भक्ति और ज्ञान से परिपूर्ण है । उन्होंने कथा में पांडवों और कौरवों के जन्म की कथा को विस्तार से सुनाया बताया कि पांडव की वंश परंपरा कैसे आगे बढ़ी । उन्होंने बतलाया कि  भक्तिशाखा का अद्वितीय ग्रंथ है श्रीमद्भागवत महापुराण। दुबहर क्षेत्र में चातुर्मास व्रत एवं कथा प्रवचन के आयोजन से पूरा इलाका भक्ति में डूबा हुआ है जहां अनेकों गांव के स्त्री पुरुष सुबह शाम जीयर स्वामी की आरती एवं उनके चातुर्मास व्रत में आए हुए भारत के प्रसिद्ध कथा वाचक हरिद्वार पीठाधीश्वर बैकुंठ नाथ स्वामी एवं अयोध्या पीठाधीश्वर माधवाचार्य जी के प्रवचन का आनंद उठा रहे हैं । बलिया ही नहीं बिहार की सीमा बलिया से सटे होने के कारण अधिक मात्रा में बिहार की भी लोग जीयर स्वामी जी के दर्शन एवं उनके प्रवचन सुनने के लिए कथा पंडाल में बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं ।



रिपोर्ट:-नितेश पाठक

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