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नर को नारायण से मिलाने का माध्यम है श्रीमद्भागवत महापुराण:-जीयर स्वामी



दुबहर ।  धरती पर जब अत्याचार अनाचार अपने चरम सीमा पर पहुंच जाएगा ,धर्म पर कुठाराघात होगा, जब साधु सन्यासी पूर्णतया अय्याश हो जाएंगे कहीं कोई धर्म कर्म की बात करने वाला नहीं रहेगा तब भगवान का कल्कि अवतार होगा । उक्त बातें क्षेत्र में हो रहे चातुर्मास यज्ञ के दौरान श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए संत लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी ने मंगलवार की देर शाम कहीं । उन्होंने कहा कि कलयुग की आयु चार लाख बत्तीस हजार वर्ष है । इसमें से जब 8000 वर्ष शेष रह जाएगा तब मुरादाबाद जनपद में एक ब्राह्मण परिवार के कुंवारी कन्या से भगवान का कल्कि अवतार होगा और वह धरती पर फिर से धर्म की स्थापना करेंगे । बताया कि अभी तो कलयुग का मात्र छः हजार वर्ष ही बीता है । जीयर स्वामी ने भगवान के मत्स्य अवतार एवं समुंद्र मंथन की कथा को विस्तार से सुनाते हुए कहा कि समुद्र मंथन में देवता ,दानव और ऋषियों ने मिलकर समुद्र मंथन किया । जिसमें निकला कालकूट बिष को भगवान शंकर जी ने अपने गले में धारण किया । कहा कि कुछ लोग गांजा भांग को शंकर जी का प्रसाद मानकर खाते हैं । जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए ऐसा किसी शास्त्र धर्म ग्रन्थ में नही बताया गया है । कहा कि देवता और सन्त जो करें वह नहीं करना चाहिए बल्कि  जो करने के लिए कहे वही करना चाहिए ।  समुद्र मंथन की कथा में आए प्रसंग के दौरान स्वामी जी ने हरिद्वार नासिक उज्जैन और  प्रयाग की महिमा को बताते हुए कहा कि जिस तरीके से अमृत पीने से अमरत्व की प्राप्ति होती है वह इन चारों तीर्थों में स्नान करने से सहज ही मिल जाती है ।उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा नर को नारायण से मिलती है।

रिपोर्ट:-नितेश पाठक

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