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आजादी की लड़ाई में शहीद वृंदावन तिवारी का स्मारक बदहाल




चितबड़ागांव।आजादी की लड़ाई में शहीद हुए लोगों को यह देश कितना याद करता है और कितनी कृतघ्नता है इसका उदाहरण देखना हो तो जिले के सबसे पुराने नगर पंचायत चितबड़ागांव में चले आइए।

स्थानीय नगर पंचायत के निवासी रहे शहीद वृंदावन तिवारी ने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया और इसी लड़ाई में अंग्रेजों की गोली से शहीद भी हुए।23 अगस्त 1942 को शहीद हुए श्री तिवारी के याद में आजादी के बाद स्थानीय लोगों ने चंदा एकत्रित कर एक शहीद स्मारक का निर्माण कराया।जिससे की आने वाली पीढ़ियां शहीद को याद करती रहे।आजादी के 75 साल बाद इस स्मारक की हालत इतनी जर्जर है की यहां इसका अस्तित्व समाप्ति की तरफ है।स्मारक में बना अशोक स्तंभ जो की राष्ट्रीय चिन्ह भी है टूटकर बिखर गया है और रस्सियों के सहारे बंधा हुआ है।वर्तमान सरकार भी शहीदों के सम्मान के बड़े बड़े दावे करती है,जगह जगह अमृत महोत्सव का आयोजन भी करा रही है परंतु इनकी नजरे इनायत चितबड़ागांव नगर पंचायत स्थित स्मारक तक नही पहुंच रही।एक आध बार इसके सुंदरीकरण का प्रयास भी हुआ परंतु स्थानीय राजनीति ने इसका कायाकल्प नही होने दिया।अब शहीद की याद में बना स्मारक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है परंतु इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। 



रिपोर्ट अतुल कुमार तिवारी

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