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धनेश्वरनाथ शिवमन्दिर में हैं स्वयंभू शिवलिंग, बना है आस्था का केन्द्र

 




रतसर (बलिया) जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर बलिया- सिकन्दरपुर राष्ट्रीय  राजमार्ग से तीन किमी पश्चिम पचखोरा- रतसर मार्ग के बीच धनौती गांव स्थित धनेश्वरनाथ शिव मन्दिर ऐतिहासिकता व पौराणिकता को समेटे हुए जन आस्था का प्रमुख केन्द्र है। जहां लोग सच्चे मन से जो भी कामना करते है, उसकी मनोकामना बाबा धनेश्वरनाथ की कृपा से अवश्य पूरी हो जाती है। सावन महीने में बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। बाबा धनेश्वरनाथ स्वयंभू शिवलिंग है। प्राचीन मान्यता के अनुसार पहले यह क्षेत्र जंगल से आच्छादित था। चरवाहे अपने पशुओं को लेकर आया करते थे। इसी बीच एक दिन एक चरवाहा पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। उसे भूख लगी थी। अचानक उसके सामने भोजन की थाली प्रकट हो गई। चरवाहा अचंभित हो गया और इधर-उधर नजर दौड़ाई तो देखा कि भोजन की थाली के निकट आधा धंसा शिवलिंग है। चरवाहे ने गांव वालों को पूरा वृतांत बताया। तबसे लोग इस स्थान पर शिवलिंग का पूजन करने लगे।मंदिर के पुजारी जगत नारायन दास ने बताया कि पूर्व में यह मन्दिर छोटे आकार में था। तीन किमी दूर पड़ोसी गांव जनऊपुर निवासी हकडू शाह प्रतिदिन नंगे पांव बाबा धनेश्वरनाथ मन्दिर पर जलाभिषेक करने के बाद ही भोजन करते थे। कालांतर में धनेश्वरनाथ की कृपा से उन्हें अकूत संपति प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने भव्य मन्दिर का निर्माण कराया साथ ही वहां पर धर्मशाला एवं यज्ञ मण्डप का निर्माण कराया साथ ही दो बीघा जमीन मन्दिर के नाम से खरीद कर दान में दिया जहां आज भी शिवरात्रि के दिन मेला लगता है। इस मन्दिर में रोजाना प्रवचन कार्यक्रम होता है। श्रद्धालु यहां बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने आते है।



रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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