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भगवान की कथा सुनने से होता है मन का शुद्धीकरण:- लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी



दुबहर:- अपने परिवार में रहते हुए परमात्मा से अपना जीवन जोड़ते हैं तो कहीं भटकने की गुंजाइश नही रहती है। यही गृहस्थ के लिए सबसे श्रेष्ठ है। सबसे सरल और सहज उपाय है। परिवार पत्नी बाल बच्चे में अपने आप स्थित होते हुए घर में परमात्मा की सत्ता मान करके,  परमात्मा की आज्ञा मान करके उनके साथ रहें। 

उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रीदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में अपने प्रवचन के दौरान कहीं।

स्वामी जी ने कहा कि परमात्मा की कथा का श्रवण करने से चंचल मन  गलत मार्ग पर नही जाता। वह परमात्मा जो पुरे दुनिया में हैं। पुरे दुनिया की स्थिति में हैं ऐसा मान करके उनके नाम, गुण, लीला, धाम तथा उनके चरित्र को सुनिए। सबसे पहले सुनिए, फिर कीर्तन करीए, स्मरण करीए तब उनके गुणों को अपने हृदय में उतारीए।  बार बार परमात्मा के चरित्रों की कथा श्रवण करने की बात बताई गई है। 

स्वामी जी ने बतलाया की  कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है।



रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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