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रावण के अत्याचार से कांप उठी धरती,देवताओं की शरण में पहुंचे ऋषि-मुनि

 



रतसर (बलिया) स्थानीय नगर पंचायत के बीका भगत के पोखरे पर चल रही ऐतिहासिक रामलीला के दूसरे दिन बुद्धवार की देर शाम स्थानीय कलाकारों ने रावण जन्म व उसके अत्याचारों का मंचन किया। लंकापति रावण उसके भाई कुंभकर्ण तथा विभीषण के जन्म व रावण के अत्याचार का मंचन किया गया। कलाकारों ने मंच से इसकी जीवंत प्रस्तुति दी। विश्रवा मुनि व कैकसी के विवाह के बाद कैकसी के गर्भ से रावण,कुंभकरण व विभीषण का जन्म होता है। दूसरे दृश्य में ऋषि शुक्राचार्य ने रावण,कुंभकर्ण व विभीषण से कहा कि देवता राक्षसों पर अत्याचार कर रहे है। इसलिए असुरों की रक्षा के लिए महादेव की तपस्या करो और अमर होने का वरदान मांगों। इसके बाद तीनों भाई कठोर तपस्या करने लगते हैं। शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने दस बार अपना सिर काटकर उन्हें चढ़ा दिया। इससे प्रसन्न होकर महादेव तीनों भाइयों को मनचाहा वरदान प्रदान करते है। इसके बाद रावण अपना अत्याचार शुरू कर देता है। रावण के अत्याचार से धरती कांपने लगी। इससे परेशान ऋषिगण देवलोक पहुंचे और देवताओं से प्राणरक्षा की विनती की। देवताओं ने ऋषियों से कहा कि भगवान राम ही रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिला सकते हैं। वहीं रावण को अपनी ताकत का इतना अभिमान हो गया कि वह भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाने लगा। भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाने के क्रम में बैद्यनाथ धाम में शिवलिंग की स्थापना हुई।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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