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नागजी सरस्वती विद्या मंदिर भोजपुर में 110 बच्चों का हुआ विद्यारंम्भ संस्कार

 


रिपोर्ट : धीरज सिंह


बलिया : जिस प्रकार लक्ष्य के बिना किसी भी जीव का जीवन निराधार होता है ठीक उसी प्रकार शिक्षा के बिना भी मनुष्य का जीवन व्यर्थ होता है इसलिए शिक्षा, ज्ञान और अच्छे संस्कारो को मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी पूँजी माना गया है।

उक्त बातें विद्यालय के प्रधानाचार्य डा० राजेन्द्र पाण्डेय ने आज 5 फरवरी, 2023 को नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर भोजापुर बैरिया में दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित विद्यारम्भ संस्कार के अवसर पर कहा।

प्रधानाचार्य ने कहा कि, हिन्दु धर्म में विद्यारम्भ संस्कार धर्म, वेद, ज्ञान, आदर्श और स्कूली शिक्षा अर्जित करने का प्रथम एवं बेहद महत्वपूर्ण चरण कहा जाता है। इस संस्कार को माता पिता भगवान की पूजा अर्चना कर अपने बच्चों के लिए यह कामना करते है कि अपने जीवन में उनका बच्चा अच्छी व बेहतर शिक्षा ग्रहण कर समाज व उनके कुल का नाम और गौरव बढ़ाये। विद्यारम्भ संस्कार ही वो माध्यम है जिसकी मदद से शुरुआत में ही बच्चो में पढ़ाई और शिक्षा को लेकर एक अलग तरह का उत्साह और जिज्ञासा पैदा की जा सकती है।



इस संस्कार के माध्यम से हर माता पिता अपने बच्चों के प्रति जागरूक तो होते ही है साथ ही हर शिक्षक भी बच्चों के प्रति अपना दायित्व भली भाँति ठीक से समझ पाता है। शायद इन्ही कारणो के चलते हिन्दु धर्म में विद्यारम्भ संस्कार को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष मुरली छपरा ब्लाक के ब्लाक प्रमुख कन्हैया सिंह जी ने कहा कि यह विद्यालय ज्ञान और संस्कार को प्रदान करने के लिए हमेशा से अग्रसर रहा है और यही एकमात्र विद्यालय है जो इस पूरे क्षेत्र में ज्ञान और संस्कार को बच्चों में डालने के लिए निरन्तर ही अग्रसर है।

विद्यालय के प्रबन्धक अनिल सिंह ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारे आचार्य और अचार्या तथा प्रधानाचार्य जी के कड़े मेहनत से यह विद्यालय जिले में उच्चतम शिखर की ओर अग्रसर हो रहा है और आगे भी रहेगा। 

विद्यारम्भ संस्कार के इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो० डा० संजय कुमार सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य सुरेश चन्द्र सिंह आदि ने मिलकर पूजन अर्चन सम्पन्न किया। इस अवसर पर 110 भैया बहनों का विद्यारम्भ संस्कार सकुशल सम्पन्न हुआ। सैकड़ों की संख्या में बन्धु भगिनी गण उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुख्य रूप से आचार्य गण और आचार्या भगिनी, तथा पूजन कार्यक्रम सम्पन्न कराने हेतु आचार्य आदित्य पराशर तथा संचालनकर्ता ज्ञान प्रकाश दूबे जी की उपस्थिति रही।

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