विलुप्त हो रहे मछलियों के दो लाख बीज को सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के उपस्थित में सिफरी द्वारा गंगा नदी में छोड़ा गया
बलिया : गंगा नदी में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवम् संवर्धन को ध्यान में रखते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद -केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) के द्वारा आज दिनांक 1 जुलाई 2023 को, बलिया के कोटवा-नारायणपुर घाट पर गंगा नदी में 200000 (दो लाख ) भारतीय प्रमुख कार्प के बीज को छोड़ा गया। राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम 2023 के अवसर पर बलिया के सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त की उपस्थिति में -कतला, रोहू तथा मृगल मछलियों के बीज को रैंचिंग सह जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत संचय किया गया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अन्तर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ बि॰ के॰ दास ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व को बताया। उन्होने कहा कि इस वर्ष गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के 25 लाख से ज्यादा बीज का रैंचिंग किया गया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बलिया के सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने इस अवसर पर गंगा के महत्व को बताया साथ ही इसको स्वच्छ रखने एवम जैव विविधता को बचाने के लिए लोगों से आह्वान किया । उन्होंने बलिया जनपद के जलभराव वाले जल क्षेत्र जैसे सुरहताल, भागर नाला, मगही नदी, कोरहरा नाला आदि में मत्स्य उत्पादन के लिए प्रेरित किया जिससे रोजगार अवसर के साथ- साथ जल क्षेत्रों के प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलेगी l सांसद जी ने मत्स्य पालन के साथ मिश्रित कृषि और मोटे अनाज की खेती को अपनाने के लिए अनुरोध किया l इस अवसर पर माननीय सांसद जी ने सक्रिय एवं जरूरतमंद मछुआरों को जाल का भी वितरण किया l अन्य अतिथिगण श्री शिवांकित वर्मा, खण्ड विकास अधिकारी,श्री संजय कुमार सहायक मत्स्य निदेशक, उ प्र, श्री डी के सिंह, जिला कृषि अधिकारी आदि ने जैव विविधता और मछलियों के बारे में जागरूक किया तथा गंगा को साफ रखने के लिए के लिए कहा ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में केंद्र प्रभारी डॉ धर्म नाथ झा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में आस-पास गाव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लागों ने भाग लिया। अन्त में संस्थान के वैज्ञानिका डॉ राजू बैठा ने औपचारिक धन्यवाद दिया । कार्यक्रम में प्रयुक्त मत्स्य बीज का रख रखाव एवं व्यवस्था संस्थान के वैज्ञानिक डॉ मितेश रामटेक, डॉ विकास कुमार, एवं अन्य अधिकारियों और शोधार्थीयों ने किया।
By - Dhiraj Singh
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