Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

चुनावी बांड के नाम पर हुई अकूत वसूली में हर स्तर पर संलिप्त है मोदी सरकार : रामगोविंद चौधरी





बलिया   :  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव उत्तर प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि चुनावी बांड के नाम पर क्षद्म कम्पनियों के माध्यम से भाजपा के लिए की गई अकूत धन वसूली के मामले में अभी तक जो तथ्य उजागर हुआ है, उसमें मोदी सरकार हर स्तर पर लिप्त नजर आ रही है। इस मामले की चर्चा में लोग देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भी संलिप्त मान रहे हैं। उन्होंने कहा है कि लोगो के बीच सरकार, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के प्रति यह धारणा देश के हित में नहीं है। इसलिए इस पूरे प्रकरण की जांच सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में कोई  ऐसी उच्चस्तरीय समिति करे जिसमें देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी पूछताछ करने की शक्ति निहित हो। 

रविवार को जारी अपने एक बयान में  सपा के राष्ट्रीय सचिव रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि इस मामले में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सम्पूर्ण भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व को अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी का अनुसरण कर जांच का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि श्री अडवाणी के उपर 1996 में हवाला के माध्यम से पैसा लेने का आरोप लगा था। उन्होंने नैतिकता के आधार पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अटल बिहारी वाजपेयी सहित अन्य दलों के कई नेताओं ने भी अडवाणी से इस्तीफा वापस लेने को कहा लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने अदालत का सामना किया और बाइज्जत बरी होने के बाद 1998 में हीरो की तरह चुनाव जीत कर लोकसभा में प्रवेश किए। 

    पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि अकूत वसूली के इस मामलें में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद  तथ्यों को प्रस्तुत करने में जिस प्रकार से एसबीआई ने आनाकानी की, आधी अधूरी जानकारी दी, उससे लोगों में स्पष्ट संदेश गया है कि इस मामले में सरकार संलिप्त है। इसलिए एसबीआई ऐसा कर रहा है। अब चुनाव आयोग भी एसबीआई के पथ पर है, इसलिए लोग बोलने लगे हैं कि इस मामले में प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री भी संलिप्त हैं। 

श्री चौधरी ने कहा है कि कई कंपनियों ने अपनी कमाई से कई गुना ज़्यादा चंदा दिया है। इसलिए लोगों में यह प्रश्न खास तौर से जेरे बहस है कि सरकार ने इन कम्पनियों को इसके बदले में क्या दिया है? 

उदाहरण के तौर पर श्री चौधरी ने कहा है कि एक कम्पनी ने चार साल में अपना लाभांश मात्र दस करोड़ दिखाया है मगर चंदा दिया है 185 करोड़। लाटरी वाली एक कम्पनी ने 1368 करोड़ रुपया चन्दा दिया है जबकी चार साल में उसकी कमाई केवल 215 करोड़ है। इसलिए मेरे जैसे लोग भी  क्यों दिया? क्यों लिया? का उत्तर तलाश रहे हैं। इसी उत्तर के लिए इस पूरे प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।

       


By- Dhiraj Singh

No comments