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मां के दर पर लगाई गुहार और दूर हो गई हेपेटाइटिस बी की बीमारी



बलिया। शायद एक बार आपको इस कहानी पर विश्वास न हो, लेकिन यह कटु सत्य है। आज के जमाने में एक और जहां मेडिकल साइंस नित नए खोजों से मानव जीवन को जहां सहज कर रहा है, वहीं कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं, जिनका इलाज अब तक मेडिकल साइंस के पास नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि जहां दवा काम नहीं करती वहां दुआ अपना असर दिखाती है।




 कुछ ऐसी ही कहानी बिहार राज्य के बक्सर जिला के हबछुआ गांव निवासी प्रभात कुमार दुबे वत्स की है। हेपेटाइटिस बी जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त प्रभात को जब मेडिकल साइंस में निराश कर दिया तो उन्होंने दुआ का आसरा लिया। इसके लिए वह फेफना थाना क्षेत्र के पकड़ी धाम स्थित काली मंदिर में आए और मां काली के दर पर गुहार लगाई। 

प्रभात बताते हैं कि उनकी व्यथा को सुनकर मंदिर की पुजारी और मां काली के उपासक व अन्यय भक्त रामबदन भगत ने उन्हें कुछ औषधियां दी और उनके सेवन के लिए कहा। बताते हैं कि इसके बाद तुम मानों चमत्कार हुआ और हेपेटाइटिस बी जो पॉजिटिव था वह औषधीय के प्रभाव से नेगेटिव हो गया। 

प्रभात बताते हैं कि इस बीमारी से संक्रमित होने की जानकारी उन्हें तब हुई जब वह अपनी भाभी को रक्त देने के लिए बक्सर के अस्पताल में गए थे,वहां जांच के दौरान चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि उनका खून नहीं लिया जा सकता क्योंकि उन्हें हेपेटाइटिस बी की बीमारी है । इसके बाद तो उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा था। बीमारी के इलाज के लिए प्रभात ने कई बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन हर जगह उन्हें निराशा ही हाथ लगी। प्रभात बताते हैं कि यह मां काली का ही चमत्कार है कि हेपेटाइटिस बी जैसी जानलेवा बीमारी मां के दर पर आने मात्र से दूर हो गई।



डेस्क

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