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नमामी गंगे वेटलैंड योजना के अंतर्गत दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित

 


रेवती (बलिया)जलवायु परिवर्तन एवं वन्य जंतु विभाग के तत्वावधान में नमामि गंगे/वेटलैंड योजना के अन्तर्गत दो दिवसीय मत्स्य पालन, कृषि विकास एवं कुकुट पालन पर कार्यशाला का आयोजन सामाजिक वानिकी प्रभाग रेंज बांसडीह द्वारा दह ताल से सटे खोड़ावीर बाबा के प्रांगण में किया गया।

      मुख्य अतिथि के रूप में गोरखपुर से आए पर्यावरणविद् भुवनेश्वर पांडेय ने कहा कि यह कार्यक्रम रोजी रोटी से जुड़ा हुआ है । कहा जीविका जीवन से भी भारी होती है। नमामि गंगे के बारे में बताते हुए कहा के गंगा नदी इस देश की सबसे लंबी, सबसे पवित्र तथा महान नदी है। यह देश की जीवन रेखा है। इससे सिंचाई होती है तथा करोड़ों लोग इसे पीते हैं । इस नदी में मछली का पालन भी होता है लेकिन कूड़ा करकटों तथा गंदगी के फेंके जाने से धीरे-धीरे नदी के स्वच्छता घटने लगी । इस नदी के महत्व को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा का नमामि गंगे योजना शुरू की गई।कहा  इस नदी को हमें गंदगी से बचाने का प्रयास करना चाहिए। मुख्य अतिथि ने कहा कि खेती हमारे जीवन का आधार है।खेती के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना अतिआवश्यक है। कहा गंगा के किनारे  के गांवों में रासायनिक खेती पर रोक लगाई गई है। कम्पोस्ट खाद गोबर की खाद का प्रयोग कर मिट्टी की सेहत की रक्षा कर सकते हैं। गोबर गाय से प्राप्त होता है। हर घर में एक देशी रखें।देशी गाय के गोबर में सर्वाधिक जीवाणु होते हैं। बताया एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ जीवाणु होते हैं। इन जीवाणुओं से मिट्टी स्वस्थ रहेगी और स्वस्थ मिट्टी में स्वस्थ तथा अधिक मात्रा में अनाज पैदा होगा। मुख्य अतिथि ने बीज के बारे में तथा मत्स्य पालन पौधारोपण आदि के बारे में भी अपने विचार विस्तार से रखा। कार्यशाला में एडियो एग्रीकल्चर अनीश कुमार क्षेत्रीय वन अधिकारी मनियर विभूति नारायण सिंह, क्षेत्रीय वन अधिकारी बांसडीह ज्ञानेश्वर शुक्ला ने अपने अपने विचार रखे। कंडक्टर पालन अधिकारी विकास मिश्रा प्रचार संचालन विनोद कुमार तिवारी वन दरोगा ने किया।वन विभाग के मनोज उपाध्याय,पवन तिवारी ,ए के सिंह सहित कार्यशाला में अन्य महिला पुरुष भी शामिल रहे।



पुनीत केशरी

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