सन 1942 के आंदोलन में बिना रक्तपात 15 अगस्त को पूरे देश में सबसे पहले नगर पंचायत रेवती हुआ था आजाद
रेवती (बलिया) : महात्मा गांधी के "अंग्रेजो भारत छोड़ो" आंदोलन में 15 अगस्त 1942 के दिन पुलिस चौकी (वर्तमान थाना), रेलवे स्टेशन आदि सरकारी भवन पर तिरंगा लहराते हुए पूरे देश में सबसे पहले रेवती में अपना शासन स्थापित कर लिया था।
14 अगस्त से ही रणनीति के तहत दलछपरा से पचरुखा गायघाट तक 5 किमी तक रेल लाइन को क्षतिग्रस्त करने के साथ मुख्य मार्ग पर पेड़ काट कर अवरुद्ध कर दिया गया। जुलूस के लिए बड़ी बाजार के गांधीघाट पर लोग एकत्र हुए और क्रांतिवीरो का कदम मिट्टी तेल और जुट के बोरे आदि लेकर पुलिस चौकी के तरफ रुख किया। वहां पुलिस को खदेड़ कर तिरंगा लहरा दिया गया। बगैर रक्तपात के यह जंग जीत ली गयी और पंचायती व्यवस्था के तहत दस दिनो तक अपना शासन कायम रहा, 23 अगस्त के बाद पुनः कब्जा करने आए नेदरशोल ने लोगो में जमकर आतंक मचाया। सेनानियो के भूमिगत होने की वजह से निर्दोश लोग शिकार बने थे। चौबेछपरा के बच्चा तिवारी, रेवती के रामपूजन तिवारी के घर में आग लगायी गयी। एकबाल लाल के घर को लूटा गया। पुलिस को चकमा देकर जगरनाथ पाण्डेय रेवती दह में कुद कर तैरते हुए फरार हुए थे, इसके पूर्व सन 1928 में साइमन को काला झंडा दिखाने के वजह से पुलिस ने पीट कर बलिया में रेवती निवासी रघुराई केशरी को अधमरा कर दिया था। आजादी के बाद सन 1972 में
जूनियर हाई स्कूल के परिसर में भारत सरकार ने शिला स्तम्भ स्थापित किया जिस पर उक्त आंदोलन से जुड़े मदन चौबे, श्रीनाथ पाण्डेय, रामनरेश ओझा, चन्द्रशेखर सिंह सहित 64 स्वतंत्रता सेनानियो का आज भी नाम अंकित है।
पुनीत केशरी
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