बाढ़ के बीच गूंजा शादी का गीत: नाव पर सजी बारात बनी उम्मीद की मिसाल
बलिया/बक्सर। एक ओर गंगा की लहरें उफान पर थीं, गांव के रास्ते पानी में डूब चुके थे, लोग बाढ़ की मार से जूझ रहे थे — लेकिन इसी त्रासदी के बीच एक ऐसी खुशबू बिखरी जिसने हर दिल को छू लिया।
यह कोई आम शादी नहीं थी, यह उम्मीद, हौसले और परंपरा का संगम था।
बक्सर के सिमरी दियारा इलाके में रहने वाले कमलेश राम के बेटे राजेश कुमार की शादी बलिया जिले के बयासी गांव में तय थी। तारीख भी तय थी, तैयारी भी पूरी थी, लेकिन नियति ने रास्ते में बाढ़ की दीवार खड़ी कर दी। गंगा का रौद्र रूप हर रास्ते को निगल गया। चारों तरफ पानी ही पानी। ऐसा लगा मानो सब कुछ थम सा गया हो।
लेकिन कमलेश राम ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा,
> "शादी टालना हमारे लिए मुमकिन नहीं था। यह सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं, दो परिवारों का सपना था।"
परिवार ने फैसला लिया — बारात नाव से जाएगी। और फिर जो हुआ, वो इतिहास बन गया।
तालाब की तरह फैले पानी के बीच, फूलों और रंगों से सजी एक नाव जब बारात लेकर रवाना हुई, तो देखने वालों की आंखें भर आईं। दूल्हा राजेश पारंपरिक पोशाक में, साफा पहने, पूरे आत्मविश्वास से नाव पर बैठा था। बाराती भी नाव पर सवार थे — न कोई बैंड था, न डीजे — लेकिन माहौल में संगीत की कमी नहीं थी।
गंगा की लहरों की थपकियां, नाविकों की ताल और बारातियों की तालियों की गूंज ने इस यात्रा को यादगार बना दिया।
जहां ढोलक नहीं थी, वहां गुनगुनाहट थी। जहां माइक नहीं था, वहां मन की खुशी थी।
गंगौली गांव के पास जब नाव पर बारात निकलती दिखी, तो ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। किसी ने कहा,
> "पहली बार देखा कि पानी पर बारात चल रही है।"
लोगों ने वीडियो बनाए, तस्वीरें खींचीं और कुछ देर के लिए बाढ़ की पीड़ा भी भूल गए।
यह सिर्फ एक शादी नहीं, एक संदेश थी —
कि कठिनाइयों में भी अगर हौसला हो, तो हर काम मुमकिन है।
इस शादी ने बता दिया कि प्रेम, परंपरा और परिवार की डोर इतनी मजबूत होती है कि उसे बाढ़ की लहरें भी नहीं तोड़ सकतीं।
आज जब लोग बाढ़ के नाम पर दुख भरी कहानियां सुनाते हैं, वहीं कमलेश राम के घर की यह नाव वाली शादी एक प्रेरणा, एक उम्मीद और एक मिसाल बन गई है — जो वर्षों तक लोगों के दिलों में तैरती रहेगी।
By- Dhiraj Singh
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