राखी लौटाई नहीं… बल्कि चुपचाप छोड़ गया भाई
सोनभद्र। अमवार के पीएसी कैंप में शुक्रवार की सुबह मानो समय कुछ पल के लिए थम गया। जो जवान कल तक अपने देश की रक्षा में डटा था, आज उसी की साँसें खामोश थीं। बलिया जिले के आलमपुर गांव का बेटा, 26 साल का संदीप सिंह… अब कभी नहीं लौटेगा।
वाराणसी में वीवीआईपी ड्यूटी पूरी करके लौटे संदीप ने, सबकी नज़रों से ओझल एक दर्द अपने भीतर छुपा रखा था। शायद कोई ऐसा ज़ख्म, जो मुस्कान के पीछे था, वर्दी के पीछे था। तड़के चार बजे, जब ज़्यादातर लोग गहरी नींद में थे, संदीप ने अपनी सर्विस रायफल से वो फैसला ले लिया, जिसने सबको झकझोर दिया। गोली गर्दन को चीरते हुए सिर तक जा पहुँची और कुछ ही मिनटों में वह चिरनिद्रा में चला गया।
साथी जवान उसे खून से लथपथ लेकर अस्पताल पहुँचे, पर डॉक्टर सिर्फ मौन रह गए। हर कोई यही सोचता रहा – आखिर संदीप ने ऐसा क्यों किया? उसका वह दर्द कौन समझा, जो उसे चुपचाप खा गया?
एक मां की ममता टूट गई, एक पिता की उम्मीदें बिखर गईं। और बहन की राखी… अब ताउम्र बिना भाई की कलाई के सूनी ही रहेगी।
डेस्क


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