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"जन्म से पहले ही बुझ गई दो जिंदगियां: इलाज की आस में तड़पती रही सुमन, सिस्टम की बेरुखी ले गई मां और बच्चा दोनों को"

 



मऊ। मंगलवार की शाम एक गांव की मिट्टी में दो जिंदगियों की चिता जल गई।एक बच्चा जो दुनिया देखने से पहले ही दुनिया से चला गया।

और एक मां जिसने दर्द से कराहते हुए मदद की गुहार लगाई, पर इलाज के नाम पर सिर्फ इंतज़ार मिला… और मौत।


रामपुर थाना क्षेत्र के ढिलई फिरोजपुर बाग स्थित 'सम्राट सेवा सदन' में 32 वर्षीय सुमन, अपने पहले प्रसव की पीड़ा लेकर पहुंची थी। आंखों में बच्चे को गोद में लेने का सपना था, लेकिन कुछ घंटों में सपना कब्र में बदल गया।


आठ घंटे तक इंतज़ार... और फिर सन्नाटा


सुमन को सुबह भर्ती किया गया, लेकिन शाम 5 बजे जाकर अल्ट्रासाउंड हुआ।

बताया गया कि गर्भ में बच्चा मर चुका है और जल्द ऑपरेशन जरूरी है।

परिवार घबराया, रोया, हाथ जोड़े… लेकिन शाम 7 बजे तक कोई ऑपरेशन नहीं हुआ।

उससे पहले ही सुमन की सांसें थम गईं।


पति हरिश्चंद्र और ससुर देवनारायण की आंखों के सामने जो कुछ हुआ, वह किसी डरावने सपने से कम नहीं था।

पहले बच्चे की मौत… फिर बहू की मौत… और अस्पताल का स्टाफ उन्हें अकेला छोड़कर भाग गया।


"सिर्फ ऑपरेशन कर देते, तो शायद मेरी बहू बच जाती..."


देवनारायण की आवाज़ अब भी कांपती है, जब वे बताते हैं कि डॉक्टर ने दो घंटे का वादा किया था।

"हमने भरोसा किया, लेकिन वो ऑपरेशन टेबल तक ले गए ही नहीं। हमारी बहू तड़पती रही और हम कुछ नहीं कर सके।"


गुस्से का फट पड़ा गुबार, डॉक्टर की पिटाई


जब सुमन की मौत की खबर पूरे गांव में फैली, तो भीड़ जुट गई।

इस बीच, जिला मुख्यालय से पहुंचे डॉक्टर प्रमोद को लोगों ने पकड़ लिया।

गुस्से से बेकाबू परिजनों ने डॉक्टर की जमकर पिटाई की।

पुलिस मौके पर पहुंची, स्थिति संभाली और डॉक्टर को हिरासत में ले लिया।

सुमन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।


तीन के खिलाफ मुकदमा, लेकिन इंसाफ अब भी अधूरा


रामपुर एसओ कंचन मौर्य ने बताया कि मृतका के ससुर की तहरीर पर सेवा सदन संचालक अखिलेश, डॉक्टर प्रमोद,और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।


By- Dhiraj Singh



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