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'चना' से बनायी 'मां' की नैनाभिराम प्रतिमा


 रसड़ा(बलिया)। उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रसड़ा तहसील क्षेत्र में  मां दुर्गा पूजा का विशेष स्थान है। वैसे तो दुर्गा पूजा का बंगाल की धरती पर विशेष महत्व रहा है जहां के कलाकारों ने दुर्गा प्रतिमा के सृजन में अपनी अभिरूचियों को संजोया है। ज़ी हां  दुर्गा प्रतिमा का अप्रतिम निर्माण बलिया जनपद के रसड़ा नगर क्षेत्र के एेतिहासिक भूमि पर भी देखने को मिल रही है। नगर में वैसे तो लगभग पांच दर्जन से अधिक स्थलों पर दुर्गा प्रतिमा का निर्माण अंतिम चरण में चल रहा हैं जिनका अलग-अलग महत्व एवं आकर्षण रहेगा वहीं श्री मां शक्ति  दुर्गा पूजन समारोह समिति शिव नगरी उत्तर पट्टी में इस बार 55 किलो  काबली चना से मां दुर्गा सहित अन्य प्रतिमाएं निर्मित की जा रही हैं जो अंतिम चरण में हैं। जो इस बार भी श्रद्धालुआें के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु रहेगा।

बताते चलें कि  पहले भी इस समिति द्वारा , मोती , धूप' की लकड़ी, थर्माकोल, जौ, इलायची, मकई, सुपारी ,राजमा,मटर दाल,माक्रोनिक, आदि की मूर्तियां बनाकर कालाकारों ने एक नया आकर्षक पैदा करते आ रहे हैं। सबसे बड़ी खबर यह है कि सभी युवक व बाल कलाकार  एकं   नगर क्षेत्र के है  मूर्ति कलाकार देवेन्द्र राजभर उम्र 22 वर्ष ,रत्न साहनी उम्र 15 वर्ष , विशाल गौड़ उम्र 16वर्ष, निखिल शर्मा उम्र 13 वर्ष, विशाल साहनी उम्र 14 वर्ष  ,  किशोरावस्था में ही अपनी कलात्मक क्षमताआें व सृजनशील विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया है।

 इन्हें बंगाल की माटी से ही प्रेरणा मिली है। वैसे तो नवरात्र के प्रथम दिन से ही अनेकों समितियों में पूजा अर्चन शुरू कर दिया जाता लेकिन अधिकांश समितियों में पूजा सप्तमी से ही शुरू होता है, लेकिन इस समिति पर हर साल हजारों की भीड़ मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। ऐसे में युवा व बाल  कलाकारों को अखण्ड भारत न्यूज़ परिवार की तरफ़ से बधाई।



रिपोर्ट पिन्टू सिंह 

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