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सुरहा के पानी ने ग्रामीणों को बनाया शरणार्थी, गलियों में चल रही नाव


बलिया। गंगा व टोंस नदी का पानी सुरहाताल में आने की वजह से सुरहाताल के किनारे आबाद गाँवों मंे पानी भर गया है, जिससे  किनारे के गाँव मैरिटार, राजपुर, कैथवली सूर्यपुरा, शिवपुर के लोग पानी मंे घिर गए हैं। इन गांवों के लोग सड़क और बगीचे में शरण लिए हुए हैं। इनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। इनके घरांे में पानी आ जाने से  बूढ़े,  बच्चें सभी तबाह हो गए हैं। जिसके चलते सुरहाताल के किनारे के गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं। मैरिटार बिंद बस्ती के दक्षिण छोर पर  सुरहाताल के पानी ने सैकड़ों घर को अपने आगोश में ले लिया है। जिसके चलते लोग घर बार छोड़ गांव में बने रैन बसेरा, मंदिर, बागीचे  सड़क सहित अपने अपने रिश्तेदारों के यहाँ जाकर शरण लिए हुए हैं। 
बता दे कि बांसडीह तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर स्थित मैरिटार गांव के आधी आबादी को सुरहा ताल के विकराल रूप ने आपने आगोश में लेकर सैकड़ांे परिवार को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। अपने अपने आशियाना छोड़ के लोग गांव में बने रैन बसेरा, सड़क, मंदिर, विद्यालय व अपने रिश्तेदारों के यहां जा कर शरण लिए हुए है। हालत इतने अदत्तर है कि पीड़ित परिवार एक वक्त की रोटी के लिए तरस गए है। लेकिन रोटी मिलना तो दूर कोई यहाँ झांकने तक नहीं आ रहा है। वहीँ बात करे गांव के प्रधान की तो वह भी अपना रोना रो रहे है। बातचीत के दौरान बताया कि चार माह से हमारा खाता ही बंद है। प्रशासनिक अधिकारियों से कहने पर भी कोई कुछ करने को तैयार नहीं है। वहीं गांव की जनमानस में जानाआक्रोश जिला प्रशासन के उदाशीनता के चलते पनप रहा है।

नहीं मिला आश्वासन के सिवाय कुछ और


पीड़ित परिवार का कहना है कि उपजिलाधिकारी अन्नपूर्णा गर्ग के आश्वासन का हम पीड़ित परिवार आज भी हम इंतजार कर रहेे हैं। हम लोगों को बाढ़ के पानी में घिरे होने की सूचना मिलने पर उपजिलाधिकारी बांसडीह अन्नपूर्णा गर्ग व कई राजनीतिक लोग भी आये, लेकिन हमे आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।

कोटेदारों को दिया निर्देश


बांसडीह तहसील के तहसीलदार गुलाब चन्द्रा का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए इलाके के कोटेदारों को तत्काल राशन वितरण करने का निर्देश दिया गया है। ताकि प्रभावितों के सामने भोजन की समस्या उत्पन्न ना हो सके। 


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