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अनोखी पहल: और जज की कुर्सी पर बैठ बेटी ने सुनाया फैसला

भाेपाल। " मम्मी-पापा आप दोनों कभी नहीं झगड़ोगे। पापा आप हमारी स्कूल फीस नियमित भरोगे। बच्चाें के साथ मारपीट नहीं करोगे। राेज-राेज खाने की थाली नहीं फेंकोगे। राशन समय पर घर लाकर दोगे। बच्चाें की जरूरताें काे समय पर पूरा करोगे। मां काे खर्च के लिए कुछ रुपए भी दोगे।  यह उस फैसले की कुछ लाइने जिसे जज की कुर्सी पर बैठी बेटी ने सुनाया। 

 दरअसल, पिता के गुस्से और घर की रोज-रोज की कलह से परेशान 16 साल की बेटी ने जिला विधिक प्राधिकरण में शिकायत कर मदद मांगी। बेटी शुक्रवार को स्कूल से सीधे प्राधिकरण पहुंची और यहां प्राधिकरण के सचिव और एक्टिंग जज आशुतोष मिश्रा से शिकायत कर अपनी पीड़ा बताई। कहा, "मैं झगड़े के कारण डिप्रेशन में जा रही हूं। मेरी मदद करें। जज ने भी बेटी की मानसिक स्थिति को देखते हुए केस के सकारात्मक निपटारे का अनोखा रास्ता निकाला। पहले उन्होंने काउंसलिंग कर बेटी को उसके माता-पिता को प्राधिकरण बुलाने के लिए राजी किया। फिर माता-पिता के सामने ही बेटी को अपनी कुर्सी पर बैठाकर कहा कि अब तुम ही फैसला करो। बेटी ने भी हिम्मत दिखाई और फैसला सुना दिया, जिसे सुन माता-पिता की आंखें छलक गईं। बाद में जज ने बेटी के फैसले को आदेश के रूप में जारी किया।"

प्राधिकरण में हुई काउंसलिंग में मां ने बताया कि पति गुस्से में घर का सारा राशन उठाकर बाहर फेंक देते हैं और रखरखाव का खर्च भी कई बार नहीं देते। वहीं पिता ने भी स्वीकार किया कि गुस्से की वजह से नहीं समझ पाए कि परिवार सफर कर रहा है। उन्हाेंने बताया कि उन्हें भाेपाल में अपने परिवार के अलावा गांव में बूढ़े माता-पिता काे भी रुपया भेजना पड़ता है जिसकी वजह से वह तनाव में  आकर कई बार सब पर खीज जाते हैं।




डेस्क

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