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ज्यों— ज्यों की दवा, त्यों—त्यों बढ़ता गया मर्ज

नगरा,बलिया। ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया। कुछ ऐसी ही स्थिति रघुनाथपुर स्थित गौ आश्रय स्थल की है। अधिकारी रोज दौड़ रहे है,लेकिन बछड़ों की मौत का सिलसिला थमने का नाम  नहीं ले रहा। बृहस्पतिवार की रात भी दो बछड़े दम तोड़ दिए। चार दिन के अंदर छः बछड़ों की मौत ने व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है। नगरा विकास खण्ड के रघुनाथपुर गॉव में गौ आश्रय स्थल खोला गया है। जब से यह आश्रय स्थल खोला गया है तभी से इसमें रखे गए बछडों का मरने का क्रम जारी है। माह सितम्बर में तो नगरा रसडा मार्ग पर चलना मुश्किल हो गया था। आश्रय स्थल में मरे बछड़ों का लाकर सड़क किनारे फेंक दिया गया था। जब खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई तो प्रशासन की निन्द्रा टूटी,लेकिन प्रशासन ने मामले की लीपापोती कर पल्ला झाड़ लिया। पांच दिन पूर्व जब बछड़ों के मरने की खबर प्रकाशित हुई तो प्रशानिक अधिकारियों ने बछड़ों की मौत को स्वीकारा। बुधवार को बछड़ों की मौत की जांच एसडीएम रसडा, बीडीओ नगरा और पशुपालन विभाग ने की और बछड़ों के मौत का कारण प्लास्टिक खाना तथा एनीमिया बताया। गुरुवार को वाराणसी परिक्षेत्र के पशुपालन विभाग के उप निदेशक एसपी सिंह जिले के विभाग के अधिकारियों के साथ आश्रय स्थल पर बछड़ों के रख रखाव पर मंथन किया। अफसरों के मंथन के बीच भी बछड़ा मरा था। इधर गुरुवार की रात भी चारे के अभाव में दो बछड़े दम तोड़ दिए। बछड़ो की मौत प्रशासन के चारे के दावे की पोल खोल रहा है। शासन स्तर से दो बार अधिकारी बछड़ो की जांच हेतु आ चुके है फिर भी इस जांच का असर प्रशासन पर नहीं है और बछड़ों के तड़प तड़प कर मरने का बदस्तूर है।
इस संदर्भ में खंड विकास अधिकारी नगरा राम अशीष ने बताया कि मैं गावों की जांच में व्यस्त हूं। अभी बछड़ों के मौत की जानकारी नहीं है। पशु चिकित्सक देख रहे है, वहीं बता पाएंगे। डॉ बीएन पाठक ने बताया कि मैं अस्वस्थ हूं। विभाग के लोगों को मौके पर भेजा हूँ।

रिपोर्ट— संतोष द्विवेदी

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