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रोचक तथ्य : आखिरकार वैज्ञानिकों ने खोज निकाला पॉलिथीन का विकल्प



मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के शोधकर्ताओं के अनुसार, केले के बढ़ते उद्योग में बड़ी मात्रा में जैविक कचरे का उत्पादन होता है। जिससेे अब पैकेजिंग मैटेरियल तैयार होगा जो पॉलिथीन का स्थान लेगा।
यूएनएसडबल्यू के एसोसिएट प्रोफेसर जयश्री आरकोट ने कहा, 'अन्य फसलों की तलुना में केले की फसल की कटाई के बाद उसका एक बड़ा हिस्सा फेंक दिया जाता है। जबकि उसका कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पौधे से केले और उसकी पत्तियों की कटाई के बाद पौधे को काट कर फेंक दिया जाता है या खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। लेकिन इसे फेंकने की बजाय एक नए उद्योग की शक्ल दी जा सकती है।
आरकोट ने कहा कि हालांकि बेकार हिस्से का कुछ लोग टेक्सटाइल और खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह काम बहुत छोटे स्तर पर किया जाता है। केले के बेकार फेंक दिए जाने वाले हिस्से का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए यूएनएसडब्ल्यू की प्रोफेसर मार्टिना स्टेनजेल और आरकोट ने मिलकर काम किया और केले के पौधे के सेलूलोज का इस्तेमाल कर पैकेजिंग मैटिरियल तैयार किया।
शोधकर्ताओं ने कहा कि सेलूलोज का इस्तेमाल पैकेजिंग, कागज के उत्पाद, टेक्सटाइल और यहां तक कि चिकित्सा अनुप्रयोगों जैसे घाव भरने और दवा वितरण में भी किया जा सकता है।
रॉयल बोटेनिक गार्डन सिडनी में उगाए गए केले के पौधों से स्यूडोस्टेम (छाल) का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने पैकेजिंग विकल्प के रूप में इसकी उपयुक्तता का परीक्षण करने के लिए सेल्यूलोज को निकाला।
आरकोट ने कहा, 'स्यूडोस्टेम में 90 फीसदी पानी होता है। पैकेजिंग मैटेरियल तैयार करने के लिए हमने पहले स्यूडोस्टेम को प्रयोगशाला में ओवन के जरिये सुखाया और फिर इसे बहुत महीन पाउडर में मिलाया। कई रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद इससे पैकेजिंग मैटेरियल तैयार किया। उन्होंने कहा कि इसकी मदद से मजबूत शॉपिंग बैग समेत कई प्रकार की सामग्रियां बनाई जा सकती हैं।


डेस्क

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