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ददरी महोत्सव में फनकारों ने लूटी महफिल,थिरकते रहें श्रोता



—एसडीएम संग सदर कोतवाल ने किया किया उद्घाटन 
बलिया। दुश्मन मिले सवेरे, मगर मतलबी यार ना मिले...! व जा रे चन्दा जा रे तू संदेश ले के, अइह बिहाने दे के.....! भोजपुरी लोक गीतों के माध्यम से सुर संग्राम 2011 के विजेता रहें लोक गायक मनोहर सिंह ने रविवार को ददरी महोत्सव में खूब महफिल लूटी। इसके बाद महुआ चैनल द्वारा आयोजित लोकगीत की 2013 की विजेता बिहार गोपाल गंज की गायिका अलका सिंह पहाडिया ने फैसला हम कर चुकल हई, रउरे से माँग भरवाइब, दुल्हनियां बनके डोली चढ़ कर, तोहरे ही घरवा आइब...! के बाद अन्य भोजपुरी गीतों की प्रस्तुती कर शमा बांध दिया। प्रियंका सिंह प्रिया ने सोच-सोच जिया काहे हमरो घबड़ाता दरोगा जी हो, चार दिन से पियवा बा लापाता....! के बाद भोजपुर के अन्य गीतों की प्रस्तुती की। जिसके बाद समूचा पंडाल तालियों से गुंज उठा। 
इसके पूर्व ददरी मेला के भारतेन्दु कला मंच पर आयोजित ददरी महोत्सव का मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी अश्वनी कुमार श्रीवास्तव व विशिष्ट अतिथि सदर कोतवाल विपिन कुमार सिंह ने  फीता काट व दीप प्रज्वलन कर शुभारम्भ किया। इसके उपरांत नपा अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी व अधिशासी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इसी क्रम में मेला सकुशल सम्पन्न कराने के लिए मेला चौकी प्रभारी विवेक कुमार पांडेय को भी नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा सम्मानित किया गया। जिसके बाद आये हुए गायको को भी मालायार्पण एवं अंग वस्त्रम देकर सम्मानित किया। तदोपरांत आरंभ हुए नृत्य व संगीत के कार्यक्रम में श्रोताओं ने तालियों से फनकारों का उत्साह वर्धन किया। नतीजतन रात भर ददरी महोत्सव में सुरों की सरिता प्रवाहित होती रही और रोता उसमें गोता लगाते रहें। हालांकि कार्यक्रम का आगाज लोकगायक अभय सिंह कुश्वाहा और उनकी टीम द्वारा विदेशिया के गायन के साथ हुआ,लेकिन उसके बाद यह क्रम रात भर बदस्तूर रहा। जिसमें अयोध्या से आये मुकेश कुमार की टीम ने फौवाई नृत्य, गाजीपुर के जीवन राम की टीम ने धोबिया नृत्य व अयोध्या के कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन कर दर्शकों का मनोरंजन किया गया। 


इसी दौरान  बीएचयू,वाराणसी से आयी छात्रा स्नेहा ने कथक नृत्य कर सबका मन मोहा। इसके बाद वाराणसी के अमलेश शुक्ल ने मां अन्नपूर्णा भैरो बाबा रहा ना कोई बाकि, बम-बम बोल रहा है काशी व चल हो भईया, चल हो बहिनी, तनि मान कहनवा ना, बलिया में लागलबा ददरी मेला, जहां जुटल जहनवा बा...! की प्रस्तुती कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। कार्यक्रम के आखिरी में दिल्ली से आयी गायिका कल्पना पाण्डेय ने सुना है असर है हमारी बातों में, वरना तो लोग भूल जाते हैं दो— चार मुलाकातों में... व सितारों को गीन पाना मुश्किल है, हमको भूल पाना मुश्किल है.....! की प्रस्तुति कर लोगों की वाहवाही बटोरी। ददरी महोत्सव में भोजपुरी लोक विधा का आनंद लेने के लिए श्रोता रात भर डटे रहे। कार्यक्रम का संचालन अनूप जेडी ने किया। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा को लेकर मेला थाना प्रभारी विवेक पांडेय के नेतृत्व में उनकी टीम पूरी तरह सक्रिय रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में उमेश कुमार, कन्हैया जायसवाल पल्लू, ददन यादव, विक्की खान, अखिलेश सिंह झींगन, सुमित मिश्रा, विकास पांडेय लाला, अमित दुबे, सुशील श्रीवास्तव, संजय यादव आदि समस्त सभासदों का सहयोग रहा।


बालेश्वर के गीतों की रही धूम

सुर संग्राम विजेता मनोहर सिंह की गायिकी में सुप्रसिद्घ लोकगीत गायक स्व. बालेश्वर के बोल झलक रहे थे। ऐ बूढउ काजल लगाल, फिर से अइहे जवानी...! के बोल से गायक स्व. बलेसर के गीतों को जीवंत कर दिया। इसके बाद इन्होंने भोजपुरी गायक गोपाल राय के गीतों को भी गाया। 

 हैदराबाद कांड की निंदा की

मेरे जख्मों के चाहत पर पटटी कौन बांधेगा, अगर बेटियाँ नही होंगी तो कलाइयों पर राखी कौन बांधेगा। इस बोल के साथ आये हुए कलाकारों, गायक व गायिकाओं ने नारी व्यथा का गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। हैदराबाद में दुष्कर्म कर नारी की निर्मम हत्या किये जाने की घोर निन्दा की। भारतेन्दु कला मंच से अपराध मुक्त समाज बनाने के लिए लोगों से अपील की।


रिपोर्ट— नवनीत मिश्रा

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