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वर्षों पुराना है चतुर्भुज नाथ मंदिर का इतिहास

 


सिकंदरपुर, बलिया । नगर के डोमनपुरा में स्थित ऐतिहासिक चतुर्भुजनाथ मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। यहां के पुजारी महंत महेन्द्रदास की माने तो यहां एक अद्भुत चमत्कार हुआ था। शिवरात्रि के दिन यहां पर नगर सहित आसपास के क्षेत्र में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यहां मनोकामनाएं पूरी होती है।
चतुर्भुज नाथ मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना माना जाता है ।जिसको राजा सुरथ से जोड़कर बताया जाता है लोगों का कहना है कि राजा सुरथ
 एक बार कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे और एक बार सिकंदरपुर से होकर कहीं जा रहे थे ।वही शौच करने के बाद राजा ने अपने नौकर से पानी मंगवाया। नौकर ने जैसे ही पानी ला कर दिया तो राजा ने पानी को जैसे ही अपने अंग पर स्पर्श किया तो उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया ।इस बात से राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। 



राजा ने नौकर से कहां किया पानी कहां से लाए हैं नौकर ले जाकर उस जगह को दिखाएं। इस तरह से राजा ने तुरंत जाकर उस पानी से और अपने शरीर को स्पर्श किया। इस तरह से उसका सारा कुष्ठ रोग दूर हो गया। ऐसा चमत्कार देखकर राजा ने सर्वजन कल्याण के लिए इसे पोखरा बनाने का आदेश दिया। कहा जाता है कि दिन-रात सैकड़ों मजदूर इस काम में लगाए गए। उसी बीच एक बार एक मजदूर का फावड़ा किसी वस्तु से टकरा गया। जिससे टन- टन की आवाज आई। उसके बाद खुदाई की गई तो वहां भगवान चतुर्भुज नाथ की सोने की मूर्ति निकली। उस मूर्ति को किसी तरह निकाल कर पोखरा निर्माण पूरा होने के बाद एक मंदिर बनाया गया। इस मंदिर में आज बड़ी हर्षोल्लास के साथ पूजा की जाती है। भगवान चतुर्भुज का पुखरा  एक आस्था का केंद्र बन गया है।




रिपोर्ट- हेमंत राय

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