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वैलेंटाइन डे:अब 'प्यार' हुआ पुराना, आज का आशिक हुआ 'रोमांस' का दीवाना!


नई दिल्ली। तेजी बदलते दौर ने रहन-सहन और संस्कृति को ही नहीं, बल्कि इसने लोगों के विचारों और नजरियों पर भी खूब सेंधमारी की है।  हालांकि आज वैलेंटाइन डे हैं और हम बात कर रहे हैं मौजूदा दौर के कपल्स के रिश्तों की, जिनमें प्यार- इश्क-मोहबब्त और कसमे-वादे-वफादारी की महक उड़न छू हुई जा रही है।

वैलेंटाइन डे पर खासकर युवा लड़के और लड़कियां इस दिन को प्रपोजल डे के रूप में देखते हैं। प्रपोजल डे इसलिए, क्योंकि 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे से 7 दिन पहले ही इस दिन को प्रपोजल डे बनाने की पटकथा लिखी जा चुकी है, जिसकी शुरूआत रोज डे से होती है और अंत वैलेंटाइन डे (प्रपोजल) से होती है।

दिलचस्प बात यह है वैलेंटाइन डे के दिन शादी, मैरिज और कसमों-वादों की जगह नगण्य होती हैं। कपल्स एकदूसरे को प्रपोज करते हैं, लेकिन ऐसे प्रपोजल शादी के पंडाल तक कब पहुंचेंगे या पहुंचती हैं, इसकी कोई गांरटी नहीं होती है। यह नए दौर का प्यार है, जिसमें कोई शर्त नहीं होती है और गांरटी की इच्छा तो बेमानी ही है।


इश्कबाजी में गांरटी न लड़के चाहते हैं और न ही यह लड़कियों की वरीयता लिस्ट में ही है। दौर-ए-इश्क में आज युवक और युवती होठों से छू लो तुम, मेरा प्यार अमर कर दो टाइप प्यार में यकीं रखते हैं। क्योंकि युवक - युवतियां अब एक पार्टनर के साथ सात जन्म नहीं, बल्कि एक जन्म में सात समंदर पार करना पसंद करती/ करते हैं।

यह बदलते दौर की सच्चाई है, इसलिए आज का युवा जरूरतों की गुलामी करता है और जिम्मेदारियों से उतना ही दूर भागता है। वैलेंटाइन डे उन्हें यह बखूबी मौका देता है, जिसके बाद ऐसे कपल्स फ्लैट शेयर करते हैं। मौजूदा दौर में 'दे दे प्यार दे, प्यार दे- प्यार दे' जरूरत खत्म हो चुकी है। इश्क और रोमांस अब लोगों की मुट्ठी में कैद हो चुका है। स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के जरिए हजारों मील पर बैठा आशिक पलक झपकते ही माशूक या माशूका तक पहुंच जाता है।

 वह दौर गया जब इश्क आग का दरिया हुआ करता था, क्योंकि अब इश्क हाथ की हथेली में सिमट गया है। यही कारण है कि आज के दौर में इश्क स्वैच्छिक हो गए हैं, जिसका श्रीगणेश करना और द इंड बस एक क्लिक में हो जाता है। मौजूदा दौर में इश्कबाज मुसाफिर की तरह मिलते ही नहीं हैं, फिर एक छत के नीचे रहते हैं और मौका मिलते ही उड़न छू हो जाते हैं।


By-Ajit Ojha

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