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आरबीएसके व मिरेकल फीट इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में क्लबफुट (टेढ़े पंजे) का प्रशिक्षण संपन्न

 


रिपोर्ट : धीरज सिंह


- प्रभावित बच्चों को विशेष प्रकार के जूते (ब्रेसिज़) पहनने से मिलता है लाभ 


- जिले में जन्मजात 4 बच्चों के मुड़े हुये पंजों का चल रहा निःशुल्क इलाज 


- मिरेकल फीट इंडिया जिला अस्पताल में क्लब फुट क्लीनिक का कर रही है सफल संचालन


बलिया : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) एवं मिरेकल फीट इंडिया द्वारा क्लबफुट (टेढ़े पंजे) का प्रशिक्षण कार्यक्रम मंगलवार को जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सभागार में संपन्न हुआ। जिसमें बच्चों में जन्म के समय पैर टेढ़े-मेढ़े होने पर इलाज के लिए पूर्ण जानकारी दी गई। कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार ने कहा – आरबीएसके टीम द्वारा ब्लॉकों से जन्मजात 0-2 वर्ष के टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों को चिन्हित किया जाता है, और उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा पंजीकृत कर उपचार के लिए सम्बंधित संस्था को जानकारी देकर नि:शुल्क उपचार किया जाता है। इसके बाद बच्चा अपने पैरों पर पुनः खड़ा हो जाता है। 

आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जन्म से पैर अंदर की ओर मुड़ा होना, इलाज नहीं होने पर यह स्थिति दर्दनाक हो सकती है और बच्चों के बड़े होने पर उनका चलना मुश्किल हो जाता है। यह जन्म के समय एक या दोनों पैरों से प्रभावित हुए, बच्चों को चिन्हित कर उपचार से सही करने में मदद करती है। क्लबफुट को बिना सर्जरी के भी ठीक किया जाता है, लेकिन कभी-कभी बच्चे की पैर  की स्थिति के अनुसार सर्जरी की आवश्यकता होती है। ऐसे परिवारों को राहत देने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत “राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) में सहयोगी संस्था मिरेकल फीट इंडिया जिला अस्पताल में क्लब फुट क्लीनिक का संचालन कर रही है। आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों से संपर्क कर सहयोगी संस्था को बताती है जिससे उन बच्चों का उपचार शुरू किया जा सके। यहाँ 0 से 2 वर्ष तक के बच्चों के लिए यह सुविधा उपलब्ध होती हैं। बच्चे दिव्यांगता का दंश न झेलें, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्ण सहयोग किया जाता है। 

आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ० हरिनन्दन प्रसाद ने बताया कि क्लब फुट के कारण जन्म के समय से ही बच्चा अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है | उन बच्चों के पैरों के उपचार के लिये पोंसेटी तकनीकी के सहयोग से क्लब फुट का उपचार संभव है। इसमें धीरे-धीरे बच्चे के पैर को बेहतर स्थिति में लाया जाता है और फिर इस पर एक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है, जिसे कास्ट कहा जाता है। यह हर सप्ताह 5 से 8 सप्ताह तक के लिए दोहराया जाता है। आखिरी कास्ट पूरा होने के बाद, अधिकांश बच्चों को अपने टखने (एचिलीस टेंडन) के पीछे के टेंडन को ढीला करने के लिए एक मामूली ऑपरेशन (टेनोटॉमी) की आवश्यकता होती है। यह बच्चे के पैर को और अधिक प्राकृतिक स्थिति में लाने में मदद करता है, जिससे पैर अपनी मूल स्थिति पर वापस न आ जाए।

मिरेकल फीट इंडिया के प्रोग्राम एक्सिक्यूटिव  आनन्द विश्वकर्मा ने बताया की कभी-कभी इस प्रक्रिया के काम नहीं करने का मुख्य कारण यह होता है कि ब्रेसिज़ (विशेष प्रकार के जूते) लगातार उपयोग नहीं किये जाते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपका बच्चा लंबे समय तक विशेष जूते (ब्रेसिज़) आमतौर पर तीन महीने के लिए पूरे समय और फिर पांच साल तक केवल रात में पहनाना होता है । आरबीएसके व मिरेकल फीट द्वारा जिले में अब तक 4 बच्चों का इलाज किया जा रहा है। 

यह प्रशिक्षण डॉ० सौरभ राय असिस्टेंट प्रोफेसर (अस्थि रोग) राजकीय मेडिकल कॉलेज, आजमगढ़ के नेतृत्व में संपन्न कराया गया।

इस अवसर पर जिला अस्पताल के डॉ० संतोष चौधरी, डॉ० केशव प्रसाद, डॉ संजय श्रीवास्तव ,डॉ आरडी राम तथा डॉ सीपी पांडेय , मिरेकल फ़ीट के ब्रांच मैनेजर भूपेश सिंह तथा प्रोग्राम एक्सिक्यूटिव अंकिता श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

क्या कहा लाभार्थियों ने:-

नाम- आलोक, पिता का नाम- नरसिंह ,ग्राम- कोदाई, ब्लॉक -नगरा,एवं मयंक श्रीवास्तव ,पिता का नाम -श्याम श्रीवास्तव ,पता- दीघार ,ब्लॉक-बेलहरी ने बताया कि हमारा बच्चा जब पैदा हुआ था तो हम सोचे कि मेरा बच्चा इसी तरह विकलांग ही रह जाएगा फिर पता चला कि मिरेकल फीट इंडिया के सहयोग द्वारा जिला अस्पताल में क्लब फुट ( टेढ़े-मेढ़े) पंजे का नि:शुल्क इलाज जिला अस्पताल में किया जा रहा है। जब से इलाज शुरू हुआ है तब से सुधार है।

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