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बलिया में कालाजार की एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न



रिपोर्ट : धीरज सिंह


- वर्ष में दो बार घर में करायें कीटनाशी रसायन (आईआरएस) का छिड़काव 

- घर के आस-पास रखें साफ-सफाई, करें मच्छरदानी का प्रयोग 

- जिला अस्पताल में कालाजार का निःशुल्क इलाज 

- डब्ल्यूएचओ ने किया कार्यशाला का आयोजन

बलिया : जनपद में डब्ल्यूएचओ के द्वारा कालाजार की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन एक होटल में किया गया। वेक्टर बॉर्न के नोडल अधिकारी डॉ० अभिषेक मिश्रा द्वारा बताया गया कि कालाजार एक जानलेवा रोग है जोकि बालू मक्खी के काटने से फैलता है। यह अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में नमीं वाले स्थानों और मकानों की दरारों में पायी जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आस-पास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर, एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है। 

डब्ल्यूएचओ के जोनल को-ऑर्डिनेटर डॉ० राहुल ने बताया कि कालाजार मुख्यतः दो प्रकार का होता है -

पहला – विसलर लिसमेनियासिस (वीएल), किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं  लगना, रोगी में खून की कमी, रोगी का वजन घटना, त्वचा के रंग का काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। दूसरा- पोस्ट कालाजार डरमल लिसमेनियासिस (पीकेडीएल) इन मरीजों में इसका सबसे मुख्य लक्षण त्वचा पर सफेद धब्बा पाया जाता है| यदि किसी व्यक्ति में उपर्युक्त लक्षण मिले तो तत्काल अपने नजदीक के सामु०स्वा० केंद्र/ प्रा०स्वा० केन्द्र पर जांच करायें। जिला चिकित्सालय पर इसका इलाज नि:शुल्क किया जाता है।

उन्होंने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो कि बालू मक्खी के माध्यम से फैलता है | यह बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लिशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है| बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों - जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों, जानवर बंधने के स्थान तथा नम मिट्टी में रहती है। कालाजार प्रभावित जनपदों में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है | कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है जिसके कारण उसे दूसरे रोगों से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है | उन्होंने बताया कि कालाजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं; पहला - शीघ्र निदान और उपचार दूसरा- कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग/ अंतर अवशेषी छिड़काव (आई.आर.एस) | 

आई.आर.एस. एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर 6 फ़ीट की ऊँचाई तक दवा का छिड़काव किया जाता है। ताकि, कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी से बचाव किया जा सके | कीटनाशक का छिड़काव, बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाले सतह पर रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा।

पाथ संस्था की आरएनटीडीओ डॉ० सुचेता ने कहा की कालाजार के समूल उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता को अत्यंत आवश्यक बताया| प्रदेश के हर नागरिक को इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए अपने आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और अगर स्वयं या किसी में कालाजार से संक्रमित होने के लक्षणों का आभास हो तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य प्रदाताओं से संपर्क स्थापित करना चाहिए |

 *जिले में कालाजार की स्थिति:-* 

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि जिले में कालाजार प्रभावित 11 ब्लाक है- हनुमानगंज, मुरली छपरा, कोटवा, रेवती, दुबहर, चिलकहर, मनियर,बेलहरी, बांसडीह, सोहाव,पंदह, ब्लॉक है । जिले में जनवरी से आज तक (2022) तक कालाजार के 13 रोगी मिले हैं। जिसमे 4 वीएल (बुखार वाला कालाजार ) के रोगी एवं 9 पीकेडीएल (चमड़े वाला कालाजार ) के रोगी हैं। जिसमें  कोटवा ब्लॉक से तीन, दुबहर ब्लॉक से दो, बांसडीह ब्लॉक से एक,रेवती ब्लॉक से एक, सोहाव  ब्लॉक से एक, मुरली छपरा ब्लॉक से तीन रोगी, हनुमानगंज ब्लॉक में दो रोगी मिले हैं। साल में तीन बार दस्तक के दौरान और दो बार आईआरएस के दौरान घर-घर कालाजार संदिग्ध रोगियों का  विशेष  खोजी अभियान चलाया जाता है। कालाजार के संदिग्ध का टेस्ट पॉजिटिव आने पर उनका इलाज सुनिश्चित किया जाता है। साथ ही साथ कालाजार के मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में  500 रुपये  एवं पीकेडीएल के मरीज़ों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में 4000 रुपये  एवं आशा को पॉजिटिव मरीज खोजने पर 500 रुपये  देने का प्राविधान है। घरों में साल में दो बार आईआरएस (घरों के अन्दर छिड़काव ) प्रभावी ढंग से हो सुनिश्चित कराना आदि किया जाता है। आईआरएस के दौरान रसोई एवं पूजा घरों में गांव के लोगों द्वारा छिड़काव कराने से इनकार किया जाता है। जो गलत है। अतः जन समुदाय से अपील है की रसोई घर एवं पूजा घर सहित सभी कमरों की दीवारों पर छिड़काव कराना सुनिश्चित करें। अन्यथा कोई कमरा छूटा सुरक्षा चक्र टूटा।

पीसीआई संस्था के क्षेत्रीय मोबिलाइजेशन प्रबंधक विकास द्विवेदी द्वारा कहा गया कि जानकारी  एवं प्रचार-प्रसार के माध्यम  से ही कालाजार मुक्त  जिला हो सकता है। जिसके लिए हम सभी लोगों को जिसमें स्कूल, प्रधान, कोटेदार, समूह सखी के सहयोग से  जन-जागरूकता एवं प्रचार - प्रसार के द्वारा ही कालाजार मुक्त अभियान सफल हो सकता है।

इस कार्यशाला मे अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० सुधीर कुमार तिवारी, जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक मोहम्मद ताज मोहम्मद, अधीक्षक/प्रभारी चिकित्सा अधिकारी,ब्लॉक स्तरीय वेक्टर बोर्न के नोडल अधिकारी, जोनल कोऑर्डिनेटर डब्ल्यूएचओ डॉ० राहुल ,पाथ संस्था की आरएनटीडीओ डॉ० सुचेता, पीसीआई संस्था के क्षेत्रीय मोबिलाइजेशन प्रबंधक विकास द्विवेदी, वीबीडीसी रागिनी तिवारी, सी-फार संस्था डीसीसी आशीष पाण्डेय, पाथ के कालाजार के ब्लॉक मॉनीटर, वेक्टर बॉर्न के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

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