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"हड्डी तोड़ बुखार" ही है डेंगू, बचाव और जागरूकता है बेहद जरूरी : जिला मलेरिया अधिकारी


रिपोर्ट : धीरज सिंह


बलिया : डेंगू बीमारी को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इसी क्रम में जिला स्तर पर डेंगू मरीजों के लिए 10 बेड आरक्षित कर दिया है। साथ ही जलजमाव वाले स्थलों पर एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है।

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि 2019 में 123 डेंगू के मरीज, 2020 में 20 डेंगू के मरीज, 2021 में 99 डेंगू के मरीज तथा 2022 में अब तक डेंगू के 2 मरीज मिले हैं। 2019 से अब तक डेंगू से किसी भी मरीज की मृत्यु नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एडीज़ मच्छर के काटने से होती है। मच्छर के काटने के 5-6 दिन बाद डेंगू के लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। डेंगू के सबसे प्रमुख लक्षणों में से यह एक ‘हड्डियों का दर्द’ है। इस कारण से डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। 

उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में एडीज़ मच्छरों को पनपने के लिए भरपूर पानी मिलता है। इसलिए डेंगू, खासतौर पर बारिश के मौसम के दौरान और बाद में होता है। उन्होंने बताया कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि लोगों को सावधान और जागरूक रहने की आवश्यकता है। त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द,आंखों में दर्द, तेज़ बुखार, मसूड़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, दस्त आदि डेंगू के प्रमुख लक्षण हैं।

डेंगू मच्छर से बचाव:- 

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि दिन के समय मच्छरों को दूर रखने वाली क्रीम लगाएँ। पूरे शरीर को ढक कर रखने वाले कपड़े पहनें। घर के अंदर और आस-पास सफाई रखें। कूलर, गमले और टायर आदि में पानी न भरने दें और इन जगहों पर कैरोसीन तेल या मच्छर भगाने का पाउडर छिड़कर रखें। पानी की टंकियों को सही तरीके से ढंक कर रखें। खिड़की और दरवाजों में जाली लगवाएं।

 डेंगू रोग से बचाव:- 

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डेंगू होने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थ ( नारियल पानी, फलों का जूस, दाल का पानी, छाछ, दूध और ओआरएस का घोल) का सेवन करें, दर्द निवारक दवा अपने से न लें, पूरी तरह से आराम करें ,झोलाछाप डॉक्टर से इलाज ना कराएं,नजदीकी प्राथमिक/ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क स्थापित कर अपनी जांच एवं इलाज कराएं।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की जनपद स्तरीय एवं ब्लाक स्तरीय रैपिड रेस्पांन्स टीम द्वारा  निरोधात्मक कार्यवाही के साथ जनजागरूकता, स्वास्थ्य शिक्षा, सोर्स रिडक्शन, ज्वर पीड़ित मरीजों के रक्त नमूनों की जाँच,  नालियों में लार्वी साइडल का छिड़काव किया जा रहा है। डेंगू का पता लगाने के लिए एलाइजा जांच बेहद जरूरी है जिससे डेंगू की पहचान होती है। एलाइजा जांच  सदर अस्पताल बलिया के सेंटिनल लैब में निःशुल्क उपलब्ध है।

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