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ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा का धनुषयज्ञ मेला आज 17 दिसम्बर से आठ जनवरी तक चलेगा मेला




बलिया । ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा का धनुषयज्ञ मेला आज से (रविवार)से शुरू हो रहा है।तीन सप्ताह तक चलने वाले इस मेले की औपचारिक तैयारियां पूरी हो गयी है।सुदिष्ट बाबा की समाधि के पीछे वाले खेतों में तंबू व समियाने का बसने लगा आधुनिक नगर।

ज्ञात हो कि 19वीं सदी के पूर्वार्ध में संत सुदिष्ट बाबा ने यहा धनुषयज्ञ मेला लगाने की शुरुआत कराई।पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी बिहार के गांवों में फैली धनुषयज्ञ मेला को लेकर फैली कथाओं के अनुसार अगहन माह के एकादशी तिथि को सुदिष्ट बाबा अपने आश्रम पर नव वेदियों को अस्थापित कर उसपर विद्वत ब्राह्मणों को बैठाकर रामायण,महाभारत, भागवत व पुराण आदि की कथा कराते थे।जिसको सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी,रात्रिकाल में वराणसी से आई रामलीला मण्डली रामलीला का मंचन करती थी।अगहन शुक्ल पंचमी को धनुषयज्ञ का मंचन होता था जिसमे राम व सीता का पाठ करने वाले ब्राह्मण युवक व कन्या का विधिवत विवाह कराकर सुदिष्ट बाबा स्वयं कन्यादान करते थे।बुजुर्ग बतलाते है कि सुदिष्ट बाबा कहते थे कि हमारे तो रिश्तेदार नातेदार साधु सन्यासी ही है,सो देश के कोने-कोने से साधु सन्यासी बुलाये जाते थे,तथा क्षेत्र के लोगो का भी चलावा होता था।पंचमी के दिन बाकायदा बरात का दृश्य उपस्थित किया जाता था तथा क्षेत्र के लोग हाथी,घोड़ा पैदल उपस्थित होते थे।इसी अवसर पर नव दिनों तक चली कथा सुनने वाले धर्मानुरागी तथा क्षेत्र के लोग अपने-अपने घरों से आता,दाल,चावल,सब्जीतेल,घी,दही,पैसा आदि बड़ी मात्रा में पहुचा देते थे।बड़े पैमाने पर भंडारा होता था,क्षेत्र के लोग प्रसाद ग्रहण करते थे।बहुत भीड़ जुटती थी जिसमे ठेला,खुमचा पर लाई, गट्टा लेकरके कुछ दुकानदार भी पहुचते थे यह मेले का आरंभिक स्वरूप है।समय बीतने के साथ मेला आधुनिक होता गया गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक सामग्रियों की दुकानें लगने लगी।सुदिष्ट बाबा के आश्रम पर परम्परागत वेदीयां बनाकर कथा सुनवाने की परंपरा आज भी कायम है।ग्राम प्रधान बन्दना गुप्ता ने बताया की आज से 17 दिसम्बर से आठ जनवरी तक मेले का संचालन किया जाएगा।मेलार्थियों व व्यपारियों के बुनियादी सुविधाओं का समुचित ध्यान रखा जाएगा।


सुदिष्ट बाबा के समाधि स्थल पर शनिवार को करीब 25 हजार लोग व दर्जनों साधु संत कल्पवास के लिए पहुच गए है।प्रधान प्रतिनिधि रोशन गुप्त ने कल्पवास के लिए पहुचे लोगों को जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाया।



By- Dhiraj Singh

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