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सौतेला व्यवहार कर रही सरकार, आपदा में अवसर तलाश रहे विभागीय अधिकारी व ठेकेदार

 




रामगढ़, बलिया । गंगा नदी के दक्षिण में बसे नौरंगा व भुआल छपरा के बाढ़ व कटान पीड़ितों ने प्रदेश सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बिहार सरकार द्वारा भगवानपुर में किया गया कटान रोधी कार्य बहुत उपयुक्त साबित हो रहा है। भगवानपुर क्षेत्र में किए गए कटानरोधी कार्यों ने बाढ़ के दौरान नदी के कटान को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं, नौरंगा व भुआल छपरा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2021 में लगभग 10 करोड़ से कराए गए 1500 मीटर की दूरी तक पार्कोंपाइन विधि कार्य विभागीय उदासीनता व मानक की अनदेखी के कारण निर्माण वर्ष में ही परिणाम निराशाजनक रहे हैं और पार्कोपाइन पूर्णतया धाराशायी हो गए। जिससे वहां के लोगों को निरन्तर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गंगा नदी के अनवरत बढ़ रहें जलस्तर से प्रतिदिन दिन किसानों के उपजाऊ भूमि छपाका कटान का शिकार हो रही है, ग्रामीणों ने बताया कि लगातार पांच दिनों से लगभग 15 एकड़ जमीन गंगा की गोद में समाहित हो रही है जिससे 30 हजार की आबादी पर रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है। स्थानीय निवासीयों का कहना है कि उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष बाढ़ से बचाव एवं कटानरोधी कार्यों के लिए धन तो आवंटित किए जाते है लेकिन आपदा में अवसर की तलाश में बैठे सरकारी धन पर गिद्ध की निगाह जमाये बाढ़ विभाग व उनके चहेते ठेकेदारों द्वारा धन की बन्दरबांट कर लाखों लोगों के जनजीवन को अंधेरे में डाल दिया जाता है। बाढ़ पीड़ित राजमंगल ठाकुर ने बताया कि भगवानपुर क्षेत्र में किए गए कटान रोधी कार्यों में नदी के किनारों पर मजबूत बंधों और अवरोधों का निर्माण किया गया था, जिससे नदी के पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया है। इसके परिणामस्वरूप न केवल नदी का कटान रुका, बल्कि स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले साल की आई बाढ़ ने विभाग द्वारा किए गए कटान रोधी कार्यों की पोल खोल दी। नदी के किनारों पर जो कार्य किए गए थे, वे बाढ़ के पानी के दबाव को सहन नहीं कर सके और बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। इसके चलते न केवल नौरंगा, भुआल छपरा, चक्की, उपाध्याय टोला सहित दर्जनों गांवों के लोग प्रभावित हुए, बल्कि पूरे इलाके में बाढ़ व कटान के कारण उपजाऊ भूमि गंगा की लहरों में समा रहे हैं। लकड़ी मिश्र का कहना है कि बाढ़ विभाग ने उनके क्षेत्र के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए हैं। प्रशासन की उपेक्षा के कारण न केवल उनकी सुरक्षा संकट में पड़ी, बल्कि राहत कार्यों में भी अनदेखी की गई। कटान रोधी कार्यों में अक्षमता और शिथिलता के कारण इन क्षेत्रों में लोग सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं और उन्हें सरकारी मदद का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में नौरंगा वासियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और वे सरकार से उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। केन्द्रीय जल आयोग गायघाट गेज के अनुसार वृहस्पतिवार की शाम 4 बजे गंगा नदी का जलस्तर 54.110 मीटर दर्ज किया गया इसके साथ 3 सेमी मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है। यहां वार्निंग लेबल 56.615 मीटर व लाल निशान 57.615 मीटर और मीडियम फ्लड लेबल 58.615 मीटर है।



मामले की जानकारी मिली है सोमवार को ग्रामीणों से वार्ता हुई थी इस तरह की कटान नदियां हर जगह करती है आबादी बिल्कुल सुरक्षित है गांव पर कोई खतरा नहीं है फिलहाल हर क्षेत्र की बस्तियां सेफ है। हर कटान क्षेत्र में निगरानी रखी जा रही है। 

    संजय कुमार मिश्र 

एक्सईएन, बाढ़ विभाग, बलिया


रिपोर्ट : रवीन्द्र मिश्र

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