बुढ़वा बाबा तक चल रहे अभिषेकात्मक यज्ञ में इंद्र के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा पं0 धनंजय गर्ग ने सुनाई
मनियर, बलिया । सतगु ब्रह्म बाबा (बुढ़वा बाबा) के स्थान पर चल रहे हरियाली श्रृंगार उत्सव सप्त दिवसीय अभिषेकात्मक महा यज्ञ एवं संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन मंगलवार कि रात आचार्य पंडित धनंजय गर्ग ने श्री कृष्ण द्वारा गोकुल वासियों को इंद्र के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की चर्चा की ।उन्होंने कहा कि जब इंद्र कुपित होकर घनघोर वर्षा करने लगे तो श्री कृष्ण ने अपनी एक उंगली पर ही गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी गोकुलवासी उस पर्वत के नीचे आ गए ।इंद्र ने कुपित होकर बज्र का प्रहार किया इसके बावजूद भी गोवर्धन पर्वत से टस से मस नहीं हुआ ।इसके अतिरिक्त उन्होंने कंस के भेजने पर अक्रूर कृष्ण बलराम को लाने जाते हैं इस प्रसंग की चर्चा की। कहे की अक्रुर संकोच करते हैं कि मैं कैसे नंद जी से कहूं की कृष्ण और बलराम को लाने आए हैं ।नन्द जी और अक्रूर के बीच बातचीत के दरमियान इस बात की जानकारी मैया यशोदा को हो जाती है की अक्रूर कन्हैया को लेने आए हैं और वह कहने लगती है कि मैं कन्हैया को नहीं भेजूंगी ।कन्हैया मेरा बेटा है ।तो अक्रूर कहते हैं कन्हैया आपका बेटा नहीं है। आपको तो बेटी हुई थी ।कन्हैया के माता-पिता देवकी और वासुदेव कारागार में है। कंस को मार कर कन्हैया अपने माता-पिता को आजाद करायेंगे ।यह सुनकर मैया यशोदा बेहोश हो जाती है फिर होश आने पर वह कहती है कि अक्रूर तुम तो क्रूर हो ।तुम्हारा नाम अक्रुर कैसे पड़ा ।कन्हैया कहते हैं की मां मुझे जाने दो सिर्फ एक दिन की बात है फिर मैं परसों चला आऊंगा ।इस प्रकार से उन्होंने बहुत ही रोचक कथा सुनाया।दर्शकों की काफी भीड़ बारिश न होने की वजह से यज्ञ स्थल पर रहा। कथा के आयोजक विनय शंकर पाठक निवासीअजोरपुर रहे।
प्रदीप कुमार तिवारी
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