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पहले लोग भगवान के नाम को ही अपने बच्चों का नाम रखते थे अब मैकाले शिक्षा पद्धति का आ गया है असर : व्यास आचार्य पंडित धनंजय गर्ग

 


मनियर, बलिया : सतगु ब्रह्म बाबा के स्थान पर चल रहे हरियाली श्रृंगार उत्सव सप्त दिवसीय अभिषेकात्मक यज्ञ एवं संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार कि रात अपने प्रवचन में व्यास आचार्य पंडित धनंजय गर्ग ने कहा कि पहले के लोग भगवान के नाम पर अपने बच्चों का नाम रखते थे ताकि बच्चों का नाम लेते समय भगवान का नाम ले लेंगे लेकिन आज मैकाले शिक्षा पद्धति का असर पड़ा है और एडवांस परिवार होता जा रहा है  जिनके बच्चे पिता को पापा एवं माता को मम्मी कहने लगे फिर इसका विकास हुआ तो पिता को डैड एवं माता को मम कहने लगे हैं जिसका अंग्रेजी में डैड मतलब मरा हुआ एवं मम मतलब ईसाई धर्म में मुर्दा का कपड़ा होता है जिसको हम हिंदी में कफन कहते हैं ।उन्होंने कहा कि विष्णु जब बराह का रूप धारण किए थे तब से हिरणकश्यपु भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानने लगा ।एक बार वह तप करने जा रहा था ।बीच रास्ते में सुक पक्षी(तोता) ने नारायण नारायण शब्द का उच्चारण किया तो वह रास्ते से वापस लौट आया। उसकी पत्नी ने पूछा कि आप तप करने जा रहे थे क्यों लौट आए तो उसने कहा कि एक सुक पक्षी नारायण नारायण कह रही थी इसलिए मैं लौट आया। उसकी पत्नी ने सोचा कि यही पूछ कर पति से नारायण का नाम सुनेगी। पत्नी खाना  खाने के समय, सोने के समय ,हर समय यह पूछने लगी कि क्यों आप तपस्या से लौट आए तो वह गुस्से में कहने लगा कि एक बार कान खोलकर सुन लो वह सुक पक्षी नारायण नारायण नारायण कह रहा था इसलिए मैं लौट आया फिर दोबारा मत पूछना ।उसी समय हिरण कश्यप की पत्नी गर्भवती हुई और नारायण के नाम का असर हुआ कि भक्त प्रहलाद पैदा हुए। यह नारायण के नाम की महिमा है। इसके अतिरिक्त उन्होंने बहुत से रोचक संगीत मय कहानी सुनाई।


प्रदीप कुमार तिवारी

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