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निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते है : पं.शीतल प्रकाश

 


गड़वार(बलिया) कस्बा क्षेत्र के दामोदरपुर गांव स्थित शिव मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को काशी से पधारे कथावाचक पं.शीतल प्रकाश जी ने भक्त प्रह्लाद प्रसंग का बखान किया। उन्होंने कहा कि भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रह्लाद के कई कष्ट दूर हो गए थे। कथा का आगाज गुरू वंदना के साथ किया गया। इसके उपरांत उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पावन लीलाओं का वर्णन किया। कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं।निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते है। कहा कि बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाता है,वह जीवन भर उसका ही स्मरण करता है। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए।माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है।अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ। इसके साथ ही उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य भोगने का वरदान प्राप्त हुआ था। ऐसी कई मिसालें है,जिससे सीख लेने की जरूरत है। मुख्य यजमान के रूप में पूर्व प्रधान विजय शंकर पाण्डेय सपत्नीक रहे। कथा श्रवण करने वालों की भीड़ पंडाल में प्रतिदिन उमड़ रही है।

रिपोर्ट : डी.पाण्डेय

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